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जो लोग हमें ताने देते हैं,

 जो लोग हमें ताने देते हैं, हमने तो बस चुप्पी साध ली है। बुराई में भी अच्छाई ढूँढते हैं, हमने तो सबको दुआ ही दी है। हम बुरे सही, मगर किसका द...

Tuesday, 24 July 2018

ज़र फ़रेब-ए-कजा़ खा गई तो क्या होगा

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ज़र फ़रेब-ए-कज़ा खा गई तो क्या होगा;
हयात मौत से टकरा गई तो क्या होगा;

नई शहर के बहुत लोग मुंतज़िर हैं मगर;
नई शहर भी कजला गई तो क्या होगा;

न रहनुमाओं की मजलिस में ले चलो मुझको;
मैं बे-अदब हूँ हँसी आ गई तो क्या होगा;

ग़म-ए-हयात से बेशक़ है ख़ुदकुशी आसाँ;
मगर जो मौत भी शर्मा गई तो क्या होगा;

शबाब-ए-लाला-ओ-गुल को पुकारनेवालों;
ख़िज़ाँ-सिरिश्त बहार आ गई तो क्या होगा;

ख़ुशी छीनी है तो ग़म का भी ऐतमाद न कर;
जो रूह ग़म से भी उकता गई तो क्या होगा।
शाह आलम

Monday, 23 July 2018

MD SHAह ALAम


S. Alam

दोस्ती हर चहरे की मीठी मुस्कान होती है,
दोस्ती ही सुख दुख की पहचान होती है,
रूठ भी गऐ हम तो दिल पर मत लेना,
क्योकी दोस्ती जरा सी नादान होती है
S. Alam

S. Alam

दोस्ती का रिश्ता दो अंजानो को जोड देता है,
हर कदम पर जिन्दगी को नया मोड देता है,
सच्चा दोस्त साथ देता है तब...
जब अपना साया भी साथ छोड देता है
S. Alam

S. Alam

गुनाह करके सज़ा से डरते हैं,
जहर पी के दवा से डरते हैं,
दुश्मनों के सितम का खौफ नहीं,
हम तो दोस्तों की वफ़ा से डरते हैं

Monday, 16 July 2018

एक लम्बी कतार बाकी है

एक लम्बी   क़तार  बाकी  है
मुफ़लिसों की पुकार बाक़ी है

क़त्ल मासूम  हो गये   लाखों
फ़िर भी ख़ंजर की धार बाकी है