वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर
इसकी आदत भी आदमी सी है
आप रुक जाइये ये वक़्त भी निकल जाएगा ये
वक़्त
खैरियत से निकले ,उसके लिए आप का रुक जाना लाजमी है
अपने ही घर में नजर बंद
हो गए .
घर में नजर बंद होना,आदतन,फितरतन,आदमी को मंजूर नहीं
लेकिन इस बार ये नजरबंदी क़ुबूल कर लीजये
उसमे सिर्फ आप का ही भला नहीं ,पूरी इंसानी नस्ल का भला है.
सिर्फ हमारे घर.मोहल्ले,शहर और देश में नहीं,ये पूरे दुनियां में हो रहा है
के बाहर कदम उठाने से पहले ,रोकिये,सोचये,और लौट जाइये
घर में
रहे –महफूज रहे |
शुक्रिया
नाम =SHAह ALAम