(1)टूटे हुवे सपनो और रूठे हुवे अपनों ने आज उदास कर दिया | वरना लोग हमसे मुस्कराने का राज पुछा करते थे ||
s. Alam
(2)हँसकर दर्द छुपाने की कारीगरी मशहूर थी मेरी, पर कोई हुनर काम नहीं आता जब तेरा नाम आता है |
S. Alam
(3)लिख देना ये अल्फाज मेरी कबर पे...!! मोत अछी है मगर दिल का लगाना अच्छा नहीं...!!
S. Alam
(4) इतना याद न आया करो, कि रात भर सो न सकें। सुबह को सुर्ख आँखों का सबब पूछते हैं लोग।
S. Alam
(5)लोग कहते हैं दुःख बुरा होता है, जब भी आता है रुलाता है। मगर हम कहते हैं दुःख अच्छा होता है, जब भी आता है कुछ सिखाता है।
S. Alam
(6)मैं आईना हूँ टूटना मेरी फितरत है, इसलिए पत्थरों से मुझे कोई गिला नहीं।
S. Alam
s. Alam
(2)हँसकर दर्द छुपाने की कारीगरी मशहूर थी मेरी, पर कोई हुनर काम नहीं आता जब तेरा नाम आता है |
S. Alam
(3)लिख देना ये अल्फाज मेरी कबर पे...!! मोत अछी है मगर दिल का लगाना अच्छा नहीं...!!
S. Alam
(4) इतना याद न आया करो, कि रात भर सो न सकें। सुबह को सुर्ख आँखों का सबब पूछते हैं लोग।
S. Alam
(5)लोग कहते हैं दुःख बुरा होता है, जब भी आता है रुलाता है। मगर हम कहते हैं दुःख अच्छा होता है, जब भी आता है कुछ सिखाता है।
S. Alam
(6)मैं आईना हूँ टूटना मेरी फितरत है, इसलिए पत्थरों से मुझे कोई गिला नहीं।
S. Alam
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