मैं खुद भी सोचता हूँ...
मैं खुद भी सोचता हूँ ये क्या मेरा हाल है;
जिसका जवाब चाहिए, वो क्या सवाल है;
घर से चला तो दिल के सिवा पास कुछ न था;
क्या मुझसे खो गया है, मुझे क्या मलाल है;
आसूदगी से दिल के सभी दाग धुल गए;
लेकिन वो कैसे जाए, जो शीशे में बल है;
बे-दस्तो-पा हू आज तो इल्जाम किसको दूँ;
कल मैंने ही बुना था, ये मेरा ही जाल है;
फिर कोई ख्वाब देखूं, कोई आरजू करूँ;
अब ऐ दिल-ए-तबाह, तेरा क्या ख्याल है
MD SHAHALAM
मैं खुद भी सोचता हूँ ये क्या मेरा हाल है;
जिसका जवाब चाहिए, वो क्या सवाल है;
घर से चला तो दिल के सिवा पास कुछ न था;
क्या मुझसे खो गया है, मुझे क्या मलाल है;
आसूदगी से दिल के सभी दाग धुल गए;
लेकिन वो कैसे जाए, जो शीशे में बल है;
बे-दस्तो-पा हू आज तो इल्जाम किसको दूँ;
कल मैंने ही बुना था, ये मेरा ही जाल है;
फिर कोई ख्वाब देखूं, कोई आरजू करूँ;
अब ऐ दिल-ए-तबाह, तेरा क्या ख्याल है
MD SHAHALAM
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