सदाएँ देते हुए और ख़ाक उड़ाते हुए
मैं अपने आप से गुज़रा हूँ तुझ तक आते हुए !!
फिर उस के बाद ज़माने ने मुझ को रौंद दिया
मैं गिर पड़ा था किसी और को उठाते हुए !!
S. ALam
मैं अपने आप से गुज़रा हूँ तुझ तक आते हुए !!
फिर उस के बाद ज़माने ने मुझ को रौंद दिया
मैं गिर पड़ा था किसी और को उठाते हुए !!
S. ALam
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