मुझे मेरे मुस्लिम होने पर नाज है
तुझे तेरे हिन्दू होने पर नाज है
लेकिन अल्लाह मेरा भी मुझ से नाराज है
और राम तेरा भी तुझसे नाराज है
गुनाह मैंने भी किए होंगे कभी
पाप तूने भी किए हों शायद कभी
इंसानियत को खोने की सजा
शायद मालिक हमको दे रहा है
ना राम तूझे मंदिर में बुला रहा है
ना खुदा मुझे मस्जिद में बुला रहा है
तो खता मेरी भी उतनी ही है
और गलती तेरी भी उतनी ही है
आ वक्त रहते संभल जाएं और..
इंसानियत के धर्म को अपना ले
मैं चाहे उसे अल्लाह कह लू
तू उसे भगवान कह ले
है तो सब एक ही
हिंदू मुस्लिम को छोड़कर
चलो हम सब मिलकर
एक बने और नेक बने
सिर्फ भारतीय प्रत्येक बने
अब तू अपने राम को खुश कर
मैँ अपने अल्लाह को मनाऊं
इस संकट से मुक्त करो हे ईश्वर -अल्लाह
अवसर दे, मैँ फिर से इंसान बन जाऊं.
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