मिलें हैं ज़ख्म इतने तो मोहब्बत छोड़ देंगे क्या
मोहब्बत तो इबादत है इबादत छोड़ देंगे क्या.....
अभी जो दिल मिलाते हैं वही दिल भी जलाएंगे
सियासी लोग हैं सारे सियासत छोड़ देंगे क्या.....
अगर राहें है तो पत्थर का होना भी जरूरी है
जरा सी बात की खातिर शराफत ठोड़ देंगे क्या...
MD SHAह ALAम
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