(1)शाम की लाली रात का काजल सुबह की तक़दीर हो तुम
हो चलता फिरता ताजमहल सांसे लेता कश्मीर हो तुम|
(2)गाँव छोड़ा तो कई आँखों में काजल फैला
शहर पहुँचा तो किसी माथे पे झूमर झूमा #
***
(3)“काँपती लौ, ये स्याही, ये धुआँ, ये काजल
उम्र सब अपनी इन्हें गीत बनाने में कटी
कौन समझे मेरी आँखों की नमी का मतलब
ज़िन्दगी गीत थी पर जिल्द बंधाने में कटी” (शाह आलम)
***
(4)तेरी आँखों में समा जाऊँगा काजल की तरह,
तू ढूँढती रह जायेगी मुझे पागल की तरह,,
***
(5)शाम की लाली रात का काजल सुबह की तक़दीर हो तुम
हो चलता फिरता ताजमहल सांसे लेता कश्मीर हो तुम
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हो चलता फिरता ताजमहल सांसे लेता कश्मीर हो तुम|
(2)गाँव छोड़ा तो कई आँखों में काजल फैला
शहर पहुँचा तो किसी माथे पे झूमर झूमा #
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(3)“काँपती लौ, ये स्याही, ये धुआँ, ये काजल
उम्र सब अपनी इन्हें गीत बनाने में कटी
कौन समझे मेरी आँखों की नमी का मतलब
ज़िन्दगी गीत थी पर जिल्द बंधाने में कटी” (शाह आलम)
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(4)तेरी आँखों में समा जाऊँगा काजल की तरह,
तू ढूँढती रह जायेगी मुझे पागल की तरह,,
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(5)शाम की लाली रात का काजल सुबह की तक़दीर हो तुम
हो चलता फिरता ताजमहल सांसे लेता कश्मीर हो तुम
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