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जो लोग हमें ताने देते हैं,

 जो लोग हमें ताने देते हैं, हमने तो बस चुप्पी साध ली है। बुराई में भी अच्छाई ढूँढते हैं, हमने तो सबको दुआ ही दी है। हम बुरे सही, मगर किसका द...

Thursday, 28 May 2020

कई दिन से नही डूबा ये सूरज

कई दिन से नहीं डूबा ये सूरज
हथेली पर मेरी छाला पड़ा है
ये साज़िश धूप की है या हवा की
गुलों का रंग क्यूँ काला पड़ा है

S.ALAM

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Wednesday, 27 May 2020

अपनी हैसियत से बढ़ चढ़कर बात करना वहुत बुरा है।

अपनी हैसियत से बढ़ चढ़कर बात करना वहुत बुरा है।

अपनी हैसियत से गिर कर बात करना उससे भी बुरा है।:
s.alam

Monday, 25 May 2020

नये लिबास को मैं तन पे सजाऊं कैसे,

नये लिबास को मैं तन पे सजाऊं कैसे, 
ग़मो का दौर है अब ईद मनाउ कैसे,
 हमको हालात ने नजरों से किया है ओझल 
ईद के रोज उनसे गले मिलाऊ कैसे
S.SLAM

Sunday, 24 May 2020

ईद मिलते ही शहीद कर जाते

ईद मिलते ही शहीद  कर जाते ,
चाहे हम उसके बाद मर जाते

घर तो किस्मत में अपने था ही नहीं 
घर में रहने को किसके घर जाते....

देख लेते अगर ज़मीन का हाल, 
आसमाँ टूट कर बिखर जाते.... 

चल दिए कैसे अच्छे अच्छे लोग, 
ज़िंदा होते तो हम भी मर जाते....

मास्क पे लिख के हम मुबारकबाद ,
ईद को यादगार कर जाते ..............
S.ALAM

Friday, 22 May 2020

अलविदा अलविदा माहे रमजान

कल्बे आशिक हे अब पारा पारा,
अलविदा अलविदा माहे रमजान.
तेरे आने से दिल खुश हुआ था,
और ज़ोके इबादत बडा था,
आह,अब दिल पे हे गम का गलबा, 
अलविदा अलविदा माहे रमजान.
नेकिया कुछ न हम कर सके हे,
अह इस्सियाहे में दिन कटे हे,
हाय गफलत में तुझको गुज़ारा,
अलविदा अलविदा माहे रमजान.
कोई हुस्न अमल न कर सका हु,
चाँद आसू नज़र कर रहा हु,
यही हे मेरा कुल असासा,
अलविदा अलविदा माहे रमजान.
जब गुज़र जायेंगे माह ग्यारा,
तेरी आमद का फिर शोर होगा,
हे कहा ज़िन्दगी का भरोसा,
अलविदा अलविदा माहे रमजान.
बज्मे इफ्तार सजती थी केसी,
खूब सहेरी कि रोनक भी होती,
सब समां हो गया सुना सुना,
अलविदा अलविदा माहे रमजान.
याद रमजान की तरपा रही हे
आंसू की जरहे लग गयी हे,
कह रहा हे हर एक कतरा,
अलविदा अलविदा माहे रमजान.
तेरे दीवाने सब के सब रो रहे हे,
मुज़्तरिब सब के सब रो रहे हे,
कौन देगा इन्हें अब दिलासा,
अलविदा अलविदा माहे रमजान.
में बदकार हु,में हु काहिल,
रह गया हु इबादत में गाफिल,
मुझसे खुश होके होना रवाना,
हमसे खुश होके होना रवाना,
अलविदा अलविदा माहे रमजान.
वास्ता तुझको प्यारे नबी (स.अ.व.) का,
हशर में मुझे मत भूल जाना,
हशर में हमें मत भूल जाना,
रोज़े महशर मुझे बकशवाना,
रोज़े महशर हमें बकशवाना,
अलविदा अलविदा माहे रमजान.
तुमपे लाखो सलाम माहे रमजान,
तुमपे लाखो सलाम माहे गुफरान,
जाओ हाफिज खुदा अब तुम्हारा,
अलविदा अलविदा माहे रमजान,
अलविदा अलविदा माहे रमजान,
अलविदा अलविदा माहे रमजान.
खुदा से दुआ हे के वो हम और आप के सारे गुनाहों को माफ़ करे. और माहे रमजान के महीने के सदके में हम सबको जन्नत नसीब फरमाए – आमिन.
S.ALAM

Tuesday, 19 May 2020

ऐ दिल किसी की याद में होता है

ऐ दिल किसी की याद में होता है बेकरार क्यों 
जिस ने भुला दिया तुझे , उस का है इंतज़ार क्यों 
वो न मिलेगा अब तुझे , जिस की तुझे तलाश है 
राहों में आज बे-कफ़न तेरी बेवफ़ाई की लाश है.                 
       s.alam

Sunday, 17 May 2020

क्यों टूट जाता इन का दम।

मज़दूर मजबूर है ग़रीब है
यह उसका कैसा नसीब है!

भूखा  प्यासा  हैरान  है वो
हद से ज़्यादा परेशान है वो!

उसे जाना है अपने गाँव में
छाले पड़े हैं उसके पाँव में!

मंज़िल भी कितनी बेरहम 
खेलती जैसे रोज नया गेम।

 जब दूरी रह जाती है कम
क्यों टूट जाता इन का दम।
s.aalam

Saturday, 16 May 2020

हम दुश्मन को भी बड़ी

हम दुश्मन को भी बड़ी
शानदार सज़ा देते हैं...

हाथ नहीं उठाते बस
नज़रों से गिरा देते हैं... 
s.alam

Monday, 11 May 2020

माँ की अजमत से अच्छा जाम क्या होगा

माँ की अजमत से अच्छा जाम क्या होगा,
माँ की खिदमत से अच्छा काम क्या होगा,
खुदा ने रख दी हो जिस के कदमों में जन्नत,
सोचो उसके सर का मुकाम क्या होगा।
S. Alam
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सदाएँ देते हुए और ख़ाक उड़ाते हुए

सदाएँ देते हुए और ख़ाक उड़ाते हुए
मैं अपने आप से गुज़रा हूँ तुझ तक आते हुए !!
फिर उस के बाद ज़माने ने मुझ को रौंद दिया
मैं गिर पड़ा था किसी और को उठाते हुए !!
S. ALam

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Sunday, 10 May 2020

अगर माँ का सर पर नहीं हाँथ होगा

अगर माँ का सर पर नहीं हाँथ होगा
तो फ़िर कौन है जो मेरे साथ होगा
कहाँ मुँह छुपाकर के रोया करूंगा
तो फ़िर किसकी गोदी में सोया करूंगा
मेरे सामने माँ की जाँ छीनकर के
मेरी खुशनुमा दासताँ छीन कर के
मेरा जोश और मेरी हिम्मत न छीने
खुदा मुझसे माँ की मोहब्बत न छीने!!!!!
MD S. ALAM